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नीति परायण का सेंगोल

ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने नेहरू को पीएम बनने से कुछ ही दिनों पहले पूछा कि आप देश की आजादी को किसी खास तरह के प्रतीक के जरिए सेलिब्रेट करना चाहते हैं तो बताएं। नेहरू भारत के जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी सी. राजगोपालाचारी के पास गए। राजगोपालाचारी मद्रास के सीएम रह चुके थे, उन्हें परंपराओं की पहचान थी। उन्होंने नेहरू को राजदंड भेंट करने वाली तमिल परम्परा के बारे में बताया। इसमें राज्य का महायाजक (राजगुरु) नए राजा को सत्ता ग्रहण करने पर एक राजदंड भेंट करता है। परंपरा के अनुसार यह राजगुरु, थिरुवदुथुरै अधीनम मठ का होता है। राजगोपालाचारी ने सुझाव दिया कि आपके पीएम बनने के बाद माउंटबेटन आपको यह राजदंड स्वतंत्रता और सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में दे सकते हैं। नेहरू राजी हो गए और लगे हाथ राजगोपालाचारी को इसकी व्यवस्था करने की जिम्मेदारी भी दे दी।

पीएम मोदी को ही क्यों दिया जा रहा है राजदंड?

इस सेरेमनी के बाद ये राजदंड इलाहाबाद संग्रहालय में रख दिया गया। 1978 में कांची मठ के ‘महा पेरियवा’ (वरिष्ठ ज्ञाता) ने इस घटना को एक शिष्य को बताया, जिसने बाद में इसे प्रकाशित किया था। कहानी को तमिल मीडिया ने वरीयता दी और जीवित रखा। यह पिछले साल तमिलनाडु में आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर एक बार फिर सामने आई। पीएम मोदी भी इससे प्रभावित हुए। उन्होंने इसकी गहन जांच के आदेश दिए। इसके बाद तय किया गया कि इसे नई संसद में स्पीकर की कुर्सी के पास रखा जाएगा। नई संसद के उद्घाटन के मौके पर इसे पूरे विधिविधान से पीएम मोदी को सौंपा जाएगा। सेंगोल की नई वेबसाइट के मुताबिक 15 अगस्त, 1947 की भावना को दोहराते हुए वही समारोह 28 मई, 2023 को नई दिल्ली में संसद परिसर में दोहराया जाएगा। दिल्ली में इस अवसर पर तमिलनाडु के कई आधीनमों के प्रणेता उपस्थित रहेंगे। वे अनुष्ठान में हिस्सा लेंगे और कोलारु पदिगम गाएंगे। सेंगोल को गंगा जल से शुद्ध किया जाएगा, जैसा कि पहले किया गया था। इसे एक पवित्र प्रतीक के रूप में प्रधानमंत्री को सौंपा जाएगा।

ज्वेलर्स का दावा- पं. नेहरू को दिया गया सेंगोल हमारे परिवार ने बनाया
चेन्नई में एक ब्रांड है वुम्मिदी बंगारू ज्वेलर्स। यह ब्रांड वुम्मिदी परिवार का है, जिसकी 5वीं पीढ़ी आज इस बिजनेस में है। इनके पुरखे वेल्लोर के एक गांव में आभूषण बनाते थे। कंपनी की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि माउंटबेटन ने जो सेंगोल नेहरू को सौंपा था, उसे इनके पुरखों ने बनाया था।

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